उस आखिरी शाम, तुम्हारी उंगलियाँ मेरे पसीने से नम हाथों से फिसल तो गईं लेकिन, तुम गए नहीं। तुम्हारी कमीज का वो बटन , हर सवेरे जो कमजोर हो टूट जाता था, आखिरी दफा पक्के धागे से सिलकर चला गया था, लेकिन , तुम गए नहीं। सदियों से मेज पर सजती दो प्यालियाँ … Continue reading तुम गए नहीं
Author: suchitahembrom
कहते हैं किसी देश का विकास उसके नौनिहालों से होता है। हम उन्हें जिस तरह के संस्कारों से सींचेंगे देश उसी राह मे बढ़ेगा । बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा के साथ अन्य गतिविधियाँ भी आवश्यक है।इसी कड़ी में प्रयास इंडिया की ओर से हर वर्ष रेनबो का आयोजन होता है जोकि … Continue reading अनगिनत रंगों की फुहार-रेनबो ‘१८
सुबह-सुबह कोलाहल की वजह से नींद थोड़ी टूट गई। अभी तो छह भी नहीं बजे थे। मीठे स्वप्नों को हौले-हौले अलविदा कह ही रही थी कि रसोईघर की दीवारों को लांघती सोंधी-सी...कुछ अपनी-सी खुशबू मन में समाने लगी। अहा! ...गुझिया! होली!! हमारी...तुम्हारी...हम सबकी...पसंदीदा होली। ऐसा त्योहार जो ज़िन्दगी की सम्पूर्णता को खुद में समेटे हुए … Continue reading होली
