स्त्री का सम्मान

"आज भी महारानी देर से आएगी" गुस्से से रितु मैडम तमतमा रहीं थी। उनके यहाँ काम करने वाली सरला पिछले दो दिनों से देर से आ रही थी, जिसकी वजह से उनकी अति व्यस्त दिनचर्या गड़बड़ा रही थी। सरला जैसे ही आयी, रितु मैडम बरस पड़ी उसपर।" मज़ाक समझ के रखा है क्या काम को … Continue reading स्त्री का सम्मान

परेशानी

"भैया, तुम जल्दी घर आ जाओ, बाबूजी की तबियत फिर से बिगड़ रही है" ,काँपती हुई आवाज़ में सुधा ने अपने भाई रितेश को बताया।सुन कर रितेश बहुत झुंझला उठा, और प्रत्युत्तर में बस "हूँ" कह कर फ़ोन काट दिया। वह खुद में बुदबुदाने लगा, "इन लोगों ने नौकरी और छुट्टी को मज़ाक समझ रखा … Continue reading परेशानी

होली 

सुबह-सुबह कोलाहल की वजह से नींद थोड़ी टूट गई। अभी तो छह भी नहीं बजे थे। मीठे स्वप्नों को हौले-हौले अलविदा कह ही रही थी कि रसोईघर की दीवारों को लांघती सोंधी-सी...कुछ अपनी-सी खुशबू मन में समाने लगी। अहा! ...गुझिया! होली!! हमारी...तुम्हारी...हम सबकी...पसंदीदा होली। ऐसा त्योहार जो ज़िन्दगी की सम्पूर्णता को खुद में समेटे हुए … Continue reading होली