गुरुवर – आप क्या हो?

उन नन्हें कोमल उंगलियों में उलझे वो कलम साफ थे, उस छोटी-सी उलझन को सुलझाने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। 'अ' अक्षर पर दौड़ते, रहते, लड़खड़ाते कर साफ थे थरथराते हथेलियों को थामने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। मुख से निकलते वो टूटे-फूटे शब्द साफ थे, पर शब्दों की अहमियत बतलाने … Continue reading गुरुवर – आप क्या हो?

आओ मिलकर दीप जलाएं

प्रकाशपर्व की मधुर बेला में आओ मिलकर दीप जलाएं स्नेह-साधना करें अनवरत जग में नव प्रकाश फैलाएँ| आलोकित हो हर घर, आँगन हर घर कुछ यूँ जगमगाए झिलमिल दीपों के क्षण पावन हर्ष का एहसास कराए| जलाएँ दीप चहुँओर आओ, मिलकर सभी आगे आएँ अंत करें तम निशा का रजनी को नव भोर बनाएँ| शुभ-लाभ … Continue reading आओ मिलकर दीप जलाएं

है ये ज़िंदगी

ज़िन्दगी क्या है, किस लिए है? वास्तव में यह कोई समझ नहीं पाया। हर शख्स इसे अपने अनुसार जीना चाहे, पर कांटों से भरी पड़ी है जिंदगी की राह, बावजूद इसके कभी न कम होगी जीने की चाह। कभी ठोकरें खाई, उदास हुए कभी सफलता मिली तो मुस्कराए । हर पल बदलती रही यह जिंदगी, … Continue reading है ये ज़िंदगी