विजयादशमी

हमारा यह भारतवर्ष त्योहारों का देश है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए हुए है। त्योहार सिर्फ संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन मात्र नहीं अपितु हमारे जीवन शैली का एक अभिन्न अंग हैं, जिनका उद्देश्य आम जन मानस के जीवन में आनंद एवं उल्लास का रंग भरना है। ये त्योहार सीखने का अवसर प्रदान … Continue reading विजयादशमी

तलाश

तलाश रहा हूं, सभी कोलाहलों से दूर, नितांत शांत स्थलों पर, पक्के सड़कों से दूर, कच्ची पगडंडियों पर। दुर्गम पर्वतों के शिखरों पर, अरुणोदय की लालिमा में, घटाओं की कालीमा में। पर्वतों के गर्भ में, धारा के आघात से उत्पन्न झरनों की कलनाद के मध्य। घने वनों के मध्य, घोंसले से झांक रहे विहंगों की … Continue reading तलाश

प्रिय!

प्रिय, तुम मेरी प्राथमिकता थी, सम्भवतः मैं तुम्हारा विकल्प। तुम उद्यान की वह पुष्प थी, जिसके सम्मुख, सबकी सुंदरता थी अल्प।। मैं नहीं देना चाहता था तुम्हें श्रृंगार की वस्तुएँ, मैं तो चाहता था… तुम्हें कालिदास की मेघदूतम सुनाऊँ। वह मेघ बन बरस जाऊँ, जिसके सम्मुख यक्ष ने बहाए थे अश्रु विरह में।। ले चलूं … Continue reading प्रिय!

गुनाहों का देवता

"प्रेम, त्याग और अंतर्द्वंद्व की अमर कहानी" हमारा जीवन एक कहानी की भांति है जिसकी पटकथा कई प्रकार के घटनाक्रमों से होकर गुजरती है जो हमारे जीवनकाल में घटित होते रहती हैं। इस कहानी में न जाने कितने पात्र आते हैं जिनका कालक्रम सूक्ष्म होता है, और कुछ पात्र ऐसे भी होते हैं जिनका प्रभाव … Continue reading गुनाहों का देवता

मेरा चुनाव

अगर हारना भी एक चुनाव होतातो शायद दसों दिशाएँ नहीं देखतापलायन की खोज में,बस रुक जाता,और मूँद के रखता अपनी आँखों कोउस पल तकजो केवल अंधकारमयी है। प्रकाश की किरण जब तक हैहार का संकल्प पूर्ण नहीं हो सकता।पक्की हार भी किसी जीत की तरह हैजिसमें दोनों या तो शून्य हैया फिर दोनों एक। अगर हारने पर भी … Continue reading मेरा चुनाव

नवरात्रि : भारत की सांस्कृतिक संपदा

भक्ति जीवन का वह स्वरूप है, जो कई इकाइयों पर मानव जीवन को उचित राह प्रदान करता है। मानव जीवन बहुत हद तक अर्थहीन प्रतीत होता है, यदि उसमें आशा का सामंजस्य ही न हो। आशा, जो सनातन के प्रमुख स्तंभों में से एक है और जिसका गढ़ हमारी भारतभूमि है। भारत जिसकी प्राचीन संस्कृति … Continue reading नवरात्रि : भारत की सांस्कृतिक संपदा