कविता रूपी विशाल सागर को, कमण्डल में समाहित करती सार हो तुम।बिखरे हुए मेरे विचलित मन को समेटकर, मुझे स्वयं से जोड़ती डोर हो तुम।मीत! मैं मौन हूँ, तो शब्द हो तुम।। अंधकार रूपी घने बादलों को छाँटकर, प्रकाश की परिधि बढ़ाते सूर्य हो तुम।चहुँ ओर प्रसारित निराशा रूपी तूफान में, हिम्मत बांधती आशा की स्त्रोत हो तुम।मीत!मैं कश्ती हूँ, … Continue reading मीत
Author: Varsha Agarwal
आज भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी है और साथ ही बप्पा के आगमन का दिन अर्थात गणेश चतुर्थी है। चारों ओर हर्षोल्लास का माहौल है। महाराष्ट्र के एक छोटे-से गाँव में रहने वाले मनु के घर में भी इसी तरह चहल-पहल है क्योंकि इस वर्ष मनु के घर पहली बार गणपति का आगमन होने … Continue reading विघ्नहर्ता गणेश
दो माताओं की शान हो तुम,इस मिट्टी की पहचान हो तुम,स्वयं अपनी तक़दीर लिखने वाले,ऐ भाई!हर बहन का अभिमान हो तुम। जन्मभूमि की ख़ातिर खुद मिट जाते हो,जननी का कर्ज़, फर्ज़ से चुकाते हो,समर्पण का प्रतीक कहलाने वाले,ऐ भाई!हर बहन का स्वाभिमान हो तुम। हँसते हुए चुनौतियों को पार कर जाते हो,हर पल सर पर … Continue reading कौन हो तुम?
हालात हैं मुश्किल,पर हम नहीं हैं बुज़दिल।आज देश पर आयी है मुसीबत भारी,'कोरोना' नाम की महामारी। संकट की यह घड़ी है,बंद पड़ी घर की कड़ी है।डॉक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी,तैनात हैं, जैसे बॉर्डर पर हो आर्मी। घर पर रहना हमारा कर्म है,देश की रक्षा ही हमारा धर्म है।पहनो मास्क, बनाओ दूरी,करो नमस्ते, हाथ न मिलाना है ज़रूरी। … Continue reading मुस्कुराएगा इंडिया
घर-परिवार की रौनक बढ़ाती, खुशियों से आँगन महकाती, पीढ़ियों से बोझ कहलाने का दर्द सहती, आज खुद परिवार की जिम्मेदारी उठाती, यूँ ही नहीं, वे बेटियाँ कहलाती | एक नहीं, दो घरों को संभालती, स्वयं का घर छोड़, पराये घर को अपनाती, निरंतर अपनों की खुशियों को सींचती, सदैव सुख-समृद्धि की कामना करती, यूँ … Continue reading यूँ ही नहीं