“आपलोगों की सर्जना की जितनी प्रशंसा की जाए कम है, इसके लिए आपलोग बधाई के पात्र हैं। जहाँ तक सुझाव की बात है तो आप विद्यार्थी को साहित्य को पढ़ने और लिखने के लिए प्रोत्साहित करें, उनकी लेखनी पर टिप्पणी देकर उसपर सुधार करवाएँ, ताकि वे भी साहित्य से जुड़ सकें।” (२९वाँ अंक)
बहुत ही सुंदर रचना। बेहतरीन।👌👌
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