दो माताओं की शान हो तुम,
इस मिट्टी की पहचान हो तुम,
स्वयं अपनी तक़दीर लिखने वाले,
ऐ भाई!
हर बहन का अभिमान हो तुम।

जन्मभूमि की ख़ातिर खुद मिट जाते हो,
जननी का कर्ज़, फर्ज़ से चुकाते हो,
समर्पण का प्रतीक कहलाने वाले,
ऐ भाई!
हर बहन का स्वाभिमान हो तुम।

हँसते हुए चुनौतियों को पार कर जाते हो,
हर पल सर पर कफन बाँधे रखते हो,
पीठ पर सहकर भी सीने पर वार करने वाले,
ऐ भाई!
हर बहन की खुशियों के ढाल हो तुम।

अनमोल अटूट रिश्ते की डोर हो तुम,
पवित्र रक्षा सूत्र की लाज हो तुम,
हर सुख-दुख में साथ निभाने वाले,
ऐ भाई!
हर बहन की दुआओं में शामिल हो तुम।

जिसकी हर साँस मातृभूमि के नाम हो,
जो वतन से मोहब्बत में कुर्बान हो,
तिरंगे की ख़ातिर, तिरंगे से लिपट जाने वाले,
ऐ भाई!
हर रिश्ते से परे, देश‌ की शान‌ हो तुम।

4 thoughts on “कौन हो तुम?

  1. वो था एक सिपाही धरा पर
    आज कहै वो हमसे
    कुर्बानी परिभाषित कर रहे
    सुन लो आप कसम से।।

    हम तो देते बलिदान अपना
    सर पे कफन हैं बांधे
    मातृभूमि की खातिर
    कुर्बान जान भी करते।।

    कुछ फर्ज तो बनता आपका
    कहते नागरिक यहां पे
    हो भारतीय बनो भारतीय
    दिखाओ भारत को यहां पे।।

    एकता किसको कहते है
    दिखाओ अखण्डता यहां पे
    धर्मो खातिर करते दंगे
    हम शर्म से सर झुकाते।।

    माना आज नही ही रहे
    कल तो बहुत हुए थे
    कल किसने देखा धरा पर
    क्या कल फिर वो ना होंगे।।

    ऐ वतन के लोगो जागो
    जागो वक़्त निहारे
    सिपाही का तो फर्ज निभाते
    आज कलम भी यहा चलाते।।

    अपना अपना फर्ज जो जाने
    उसे ही इंसान है कहते
    अहसास करना होगा आपको
    भारत माता पुकारे।।

    बहुत गुणगान हो गए हमारे
    आज आपकी बारी
    नागरिक का भी फर्ज हैं बनता
    समझो अपनी जिमेदारी।।

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