श्रीमुख मंगल आदिदेव का जन-गण-मन के नायक जो करें वंदना सत्कर्मों से इस त्रिगुणी के हैं भावक जो वह श्रीमुख ही हिन्दी है इस को नमन करें हम ।। शीश नवा हम श्रीगणेश को उस भुव्यादिशक्तिकायज को शुचिता वाणी में जो बसती ललिता वाणी की कर्त्री को वह ललिता ही हिन्दी है इस को नमन … Continue reading हिंदी
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उन नन्हें कोमल उंगलियों में उलझे वो कलम साफ थे, उस छोटी-सी उलझन को सुलझाने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। 'अ' अक्षर पर दौड़ते, रहते, लड़खड़ाते कर साफ थे थरथराते हथेलियों को थामने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। मुख से निकलते वो टूटे-फूटे शब्द साफ थे, पर शब्दों की अहमियत बतलाने … Continue reading गुरुवर – आप क्या हो?
भारत को बढ़ाने के लिए, विद्या फैलाने के लिए '४९ में जन्मा बी आई टी, ज्ञान फैलाने के लिए || भारत को बढ़ाने के लिए, विद्या फैलाने के लिए, हर प्रांत से आते हैं, सब युवा यह निश्चय लिए, बी.आई.टी में सीखें कर्म, भारत को बढ़ाने के लिए || चारों ओर करें कर्म हम, होगा … Continue reading कुल-गीत
असंतुलन समाज का फिर, नयनों के द्वार खोल रहा है जहाँ भी देखूँ , दीनता का कोई मोल रहा है हो हृदय दर्द से विचलित,खुद को टटोल रहा है, इसलिए मेरा अशांत मन चीख-चीख कर बोल रहा है, खुश है वे जिनके थाली में छप्पन भोग बरसता है। हाथें है घृत भरी और भोजन से … Continue reading दीनता का दंश
प्रकाशपर्व की मधुर बेला में आओ मिलकर दीप जलाएं स्नेह-साधना करें अनवरत जग में नव प्रकाश फैलाएँ| आलोकित हो हर घर, आँगन हर घर कुछ यूँ जगमगाए झिलमिल दीपों के क्षण पावन हर्ष का एहसास कराए| जलाएँ दीप चहुँओर आओ, मिलकर सभी आगे आएँ अंत करें तम निशा का रजनी को नव भोर बनाएँ| शुभ-लाभ … Continue reading आओ मिलकर दीप जलाएं
रावण द्वारा सीता अपहरण से राम के साथ आर्यावर्त की प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी ।सागर लाँघ कर लंका पर चढ़ाई करना जब दुष्कर लगने लगा तब माँ की आराधना करते हुए नर-वानर की मैत्री की शक्ति स्थापित हो सकी।।मां चंद्रघंटा बनी कृपामयी। रोको माँ यह अत्याचार तन पर ,मन पर, जन जीवन पर , … Continue reading माँ से एक भक्त की अरदास