गुरुवर – आप क्या हो?

उन नन्हें कोमल उंगलियों में उलझे वो कलम साफ थे, उस छोटी-सी उलझन को सुलझाने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। 'अ' अक्षर पर दौड़ते, रहते, लड़खड़ाते कर साफ थे थरथराते हथेलियों को थामने वाले आप थे, गुरुवर वो आप थे। मुख से निकलते वो टूटे-फूटे शब्द साफ थे, पर शब्दों की अहमियत बतलाने … Continue reading गुरुवर – आप क्या हो?