होली

जब पूछा उसने मुझसे-"रंगूँ तुम्हें किन रंगों से?"मैंने कहा-रंगना मुझे तुम उस रंग सेजिसमें मिला हो-शहीदों की शहादत का रंग,बुद्ध के शांति का रंग,राधा-कृष्ण के प्रेम का रंग,श्री राम के मर्यादा का रंग,माता सीता की सहिष्णुता का रंग,उर्मिला के त्याग का रंग,माँ शारदा की वीणा के धुन का रंग,नटराज के नृत्य का रंग,शिवाजी के हुँकार … Continue reading होली

Welcoming 2022: Lessons from the past and Hopes for the future

2021 was supposed to bring people together and heal the devastating wounds of 2020. 2020, as we all know, was marred by the Covid-19 pandemic. Though the year started on a buoyant note with the country successfully developing two vaccines, and commencing the world’s largest vaccination drive, what followed four months into the year was … Continue reading Welcoming 2022: Lessons from the past and Hopes for the future

मीत

कविता रूपी विशाल सागर को, कमण्डल में समाहित करती सार हो तुम।बिखरे हुए मेरे विचलित मन को समेटकर, मुझे स्वयं से जोड़ती डोर हो तुम।मीत! मैं मौन हूँ, तो शब्द हो तुम।। अंधकार रूपी घने बादलों को छाँटकर, प्रकाश की परिधि बढ़ाते सूर्य हो तुम।चहुँ ओर प्रसारित निराशा रूपी तूफान में, हिम्मत बांधती आशा की स्त्रोत हो तुम।मीत!मैं कश्ती हूँ, … Continue reading मीत

श्रम और विश्राम

भवसागर है जो संघर्ष का, करते हैं मेहनत हम  काँटों पर चलने का, मिथ्या सुख की मृग-तृष्णा से भाग-भाग कर थकने का, बुन रहे ऐसा मकड़ी जाल इर्द-गिर्द अपने कि खुद ही साधन बटोरते अपने आप दम तोड़ने का। संसार है श्रम और तपस्या एकमात्र विश्राम। अरे! एक बार विश्राम करके तो देखो! अलल पक्षी-सा … Continue reading श्रम और विश्राम