उड़े रंग, अबीर- गुलाल,
नाचे मन हो कर निहाल।
सब ओर है छाया,
बैंगनी रंग में रहस्यमयी माया।
फिर भी है सागर और गगन,
नीली चादर ओढ़े ये मगन।
लह-लहा रही हैं फसलें हरी-भरी,
समृद्धि लेकर ये खड़ीं।
आनंद में है, चमक रहा,
सूर्य का पीला रंग बिखर रहा।
लाल और केसरी भी उड़ रही,
उत्साह और स्फूर्ति में झूम रही।
हो गयी है गुलाबी,
प्रेम में ये दुनिया सारी।
अंधकार पर है प्रकाश का रंग चढ़ाना,
भ्रम पर है सत्य को आज विजय दिलवाना।
ईर्ष्या और लोभ होगी नहीं कहीं,
प्रेम और आनंद से है गले मिलकर रंग लगाना।
गुझियों और मिठाइयों के फिर मेले लगेंगे,
फिर आएंगे सारे यार-दोस्त, साथ ठहाके लगेंगे।
आपको और आपके परिवार को होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
LikeLike