तलाश

तलाश रहा हूं, सभी कोलाहलों से दूर, नितांत शांत स्थलों पर, पक्के सड़कों से दूर, कच्ची पगडंडियों पर। दुर्गम पर्वतों के शिखरों पर, अरुणोदय की लालिमा में, घटाओं की कालीमा में। पर्वतों के गर्भ में, धारा के आघात से उत्पन्न झरनों की कलनाद के मध्य। घने वनों के मध्य, घोंसले से झांक रहे विहंगों की … Continue reading तलाश

प्रिय!

प्रिय, तुम मेरी प्राथमिकता थी, सम्भवतः मैं तुम्हारा विकल्प। तुम उद्यान की वह पुष्प थी, जिसके सम्मुख, सबकी सुंदरता थी अल्प।। मैं नहीं देना चाहता था तुम्हें श्रृंगार की वस्तुएँ, मैं तो चाहता था… तुम्हें कालिदास की मेघदूतम सुनाऊँ। वह मेघ बन बरस जाऊँ, जिसके सम्मुख यक्ष ने बहाए थे अश्रु विरह में।। ले चलूं … Continue reading प्रिय!

मेरा चुनाव

अगर हारना भी एक चुनाव होतातो शायद दसों दिशाएँ नहीं देखतापलायन की खोज में,बस रुक जाता,और मूँद के रखता अपनी आँखों कोउस पल तकजो केवल अंधकारमयी है। प्रकाश की किरण जब तक हैहार का संकल्प पूर्ण नहीं हो सकता।पक्की हार भी किसी जीत की तरह हैजिसमें दोनों या तो शून्य हैया फिर दोनों एक। अगर हारने पर भी … Continue reading मेरा चुनाव

पुरातत्वविद

कितना कुछ बचाया जा सकता था,विलुप्त हो गए नदियों, पहाड़ो या पंछियों को,किसी का बचपन हो या एक पूरी सभ्यता को। संजोए रखना, कितना कठिन होता है,समस्त संसार के विरुद्ध चलते रहना,तमाम खो रही चीजों को रख पाना भी मुश्किल है। शायद इसलिए भी एक प्रेमी बागी कहलाता है,जिसने संजो रखा है अपने भीतर मातृ … Continue reading पुरातत्वविद