बापू के जन्म दिवस पर, राजधानी दिल्ली के राजघाट पहुँचने के लिए उद्वेलन भरा किसान आन्दोलन। प्रस्तुत कविता में उन अन्नदाता किसान पुत्रों के मन की पीड़ा को मरहम का उपहार दिलाने के उद्देश्य से ही किसी महात्मा के जन्म दिवस की छायावादी अंदाज में व्याख्या हुई है, जो आज की ताजी खबर होगी । … Continue reading तुम भी रह गए बापू,दिल्ली के ही होकर