है ये ज़िंदगी

ज़िन्दगी क्या है, किस लिए है? वास्तव में यह कोई समझ नहीं पाया। हर शख्स इसे अपने अनुसार जीना चाहे, पर कांटों से भरी पड़ी है जिंदगी की राह, बावजूद इसके कभी न कम होगी जीने की चाह। कभी ठोकरें खाई, उदास हुए कभी सफलता मिली तो मुस्कराए । हर पल बदलती रही यह जिंदगी, … Continue reading है ये ज़िंदगी

श्वेत प्रेम

सहर्ष स्वीकार्य है मुझे तेरा प्रेम, अगर वो श्वेत हो ! सहर्ष स्वीकार्य हैं मुझे तेरे विचार, अगर वे श्वेत हों ! अगर आप पूछोगे कि मुझे श्वेत ही क्यों पसंद है? श्वेत एक रंग नहीं एक स्वछता का भाव है | स्वच्छ विचारों का, स्वच्छ आचरण का समभाव है, मैं रंग भेद नहीं करता … Continue reading श्वेत प्रेम

बूँद की आस

सावन के हैं मौसम पर सूखे हैं खेत सारे बादल को देख आ रहे, आँखों में ही पानी सारे किसकी करूँ पूजा ? किसे दूँ मैं दुहाई ? खुदा ही आज तो कर रहा है रुसवाई क्या हुई भूल हमसे, जो बरसा रहा ऐसा कहर ? देख के लगता है अब बस चाहिए खाने को … Continue reading बूँद की आस

अर्पण या तर्पण

खड़े हो फल्गु की रेत पर देने को मुझे तर्पण माँग रहे हो पित्र शान्ति देकर मुझे रेत की अर्पण पर यह सब कुछ तो व्यर्थ ही होगा और झूठे दिखावे ना मुझे मोक्ष देगा। पर जब हम धरती पर थे पाले रहते तुझसे आस मिले हमें  तुम्हारा सुख जो बने बुढ़ापे की लाठी काश। … Continue reading अर्पण या तर्पण

मैं और लोग

मैं अक्सर लोगों के सामने खुली किताब की तरह खुद को फेंक देता हूँ लोग कुछ पन्ने पढ़ लेते हैं कुछ पन्ने फाड़ देते हैं और लोग,मेरे पास होते हैं स्टॉल पर रखी उस महंगे किताब की तरह जो चमकती जिल्द में पैक है जिस के पन्ने मैं पलट नहीं सकता बस,कवर के पीछे इंटरेस्ट … Continue reading मैं और लोग

क्यों हो गए हो जीवन से निराश, क्यों छोड़ बैठे हो मंज़िल पाने की आस । माना की तेरी राह में मुश्किलें तमाम होंगी, कई बार तेरी कोशिशें भी नाकाम होंगी। मुश्किलों से डर कर कभी रुक मत जाना, कठिनाईयों के आगे कभी झुक मत जाना। हौसला रख और आगे बढ़, मंज़िल तू पा जाएगा। … Continue reading