जब पूछा उसने मुझसे-
“रंगूँ तुम्हें किन रंगों से?”
मैंने कहा-
रंगना मुझे तुम उस रंग से
जिसमें मिला हो-
शहीदों की शहादत का रंग,
बुद्ध के शांति का रंग,
राधा-कृष्ण के प्रेम का रंग,
श्री राम के मर्यादा का रंग,
माता सीता की सहिष्णुता का रंग,
उर्मिला के त्याग का रंग,
माँ शारदा की वीणा के धुन का रंग,
नटराज के नृत्य का रंग,
शिवाजी के हुँकार का रंग,
प्रह्लाद की भक्ति का रंग,
द्वारका-सी सम्पन्नता का रंग,
हरिश्चन्द्र के सत्य का रंग,
वेदों की ऋचाओं में प्रसारित ज्ञान का रंग,
मिठाइयों की मिठास को दिलों में घोलने वाला रंग,
अधरों पर बच्चों-सी निश्छल मुस्कान लाने वाला रंग।
रंग ऐसे जो दे एक नया अस्तित्व
न कि अमानवीय मूल्यों का एक खंडहर।
रंग ऐसे जिनके उड़ते ही
हो अपनी संस्कृति पर गर्व।