कल ज्यों मैं कॉलेज से घर आया अपने बस्ते के साथ जिसमें मेरी समस्त उपलब्धियाँ - अनुपलब्धियाँ,और विगत वर्षों में अर्जित सम्मान व कलंक थे।मेरी आँखों ने तुम्हारी तस्वीर का संरक्षण कर रखा था। ज्यों मैंने अपनी आँखें मसली,मानो एक स्वप्न टूटा और मेरी आँखों से गिरने लगा तुम्हारा सौम्य स्वरुप और तप्त भूतल पर … Continue reading मेरी अन्तिम कविता
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वक्त है चुनाव का, गर्म है मिज़ाज सभी का । कोई कहता मोदी जी आएंगे!! तो कोई कहता बीजेपी वाले जाएंगे !!! पर सच तो यही है, इस चुनाव,एक बैच फिर से हमेशा के लिए चला जाएगा, २k१५ बैच, रहेगा याद सभी को। हर वो खूबसूरत लम्हा, चाहे प्यार हो, मोहब्बत हो, या हो दोस्तों … Continue reading वक्त है चुनाव का
भारत को बढ़ाने के लिए, विद्या फैलाने के लिए '४९ में जन्मा बी आई टी, ज्ञान फैलाने के लिए || भारत को बढ़ाने के लिए, विद्या फैलाने के लिए, हर प्रांत से आते हैं, सब युवा यह निश्चय लिए, बी.आई.टी में सीखें कर्म, भारत को बढ़ाने के लिए || चारों ओर करें कर्म हम, होगा … Continue reading कुल-गीत
असंतुलन समाज का फिर, नयनों के द्वार खोल रहा है जहाँ भी देखूँ , दीनता का कोई मोल रहा है हो हृदय दर्द से विचलित,खुद को टटोल रहा है, इसलिए मेरा अशांत मन चीख-चीख कर बोल रहा है, खुश है वे जिनके थाली में छप्पन भोग बरसता है। हाथें है घृत भरी और भोजन से … Continue reading दीनता का दंश
