मैं नारी हूँ। सदियों पहले बनाई गई एक आकृति हूँ, जन्नत से जगत को दिया गया एक नायाब तोहफा हूँ, ईश्वर के हाथ की कलाकृति हूँ। सदियों की जुबानी हूँ। मैं नारी हूँ। मैं जन्म लेती हूँ, धरा पर कदम रखने से पहले, मार दी जाती हूँ। कदम रख भी लिया तो, ताने, दुख, दर्द, … Continue reading नारी-एक कहानी
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आंखे फकत ढूंढती रहती इश्क हर गलियारों में, चार दिवारी घुट कर रहती बन्द एक आशियाने में। मुस्कुराकर वो तालीम दे गई हरकते हमारी देख कर, इश्क रश्म समझा हमने आशिक-परवानों को भेट कर। आंखो में नुर झलकती जैसे ईद की मेहताब है, लफ्ज़ होठो से निकलते जैसे शरबती शराब है। किस्मत की शाम को … Continue reading पहली झलक के किस्से
जब से मैंने होश संभाला है, तब से मैंने अपने घर में गाय, कबूतर, तोते, कुत्ते आदि जानवरों को घर के सदस्यों की तरह देखा है। मेरे घर के सभी लोग पशु-प्रेमी हैं, उन्हें घर के सदस्यों की तरह रखते हैं। गाय तो हमारे घर में शुरू से ही थी,जिसकी देखभाल मेरे दादा, पापा और … Continue reading प्यारा डोलू
दुर्गा का रूप है वो, शक्ति का स्रोत है गंगा-सी पवित्र है वो, निर्मल निर्दोष है हर पल सवालों से घिरी, संयम की मूर्ति हर दर्द जो हँस कर सह ले, ऐसे प्यार की आकृति। एक औरत का है हर रूप निराला, बेटी से माँ बन कर है जिसने पूरे परिवार को सँभाला। आखिर कबतक उसे नीचा … Continue reading हर दुर्गा की पूजा
ये आँखें, ये नयन और न जाने क्या-क्या, कभी ये इतनी बार झपकती है कि जिसका इंतज़ार रहता है, जिस खुशी का, वह एक ही बार में पा जाते हैं। कभी यह ऐसा खेल खेलती है कि चाहते हुए भी झपकती नहीं। टकटकी लगाए हुए ये निगाहें उस रास्ते की तरफ़ देखते रहती है। कभी … Continue reading आँखों की आँख-मिचौली
निर्मम सिमट सिकुड़ वह सोया था, अँधेरे चौराहेे की चौखट पर वह खोया था। चादर ओढ़े सिर छिपाए, पाँव फिर भी निकले थे, सनसनाती हवा चली, पैरों को छू, निकली थी। काँप गए बदन मेरे देख वह एहसास, क्या बीती होगी उस पर जब टूटे होंगे जज़्बात? मन न माना, जी मचल उठा पूछने को … Continue reading न जाने कितनों का हाथ वही