लिपट तेरे दामन से वो बिटिया यूँ रोने लगी कल तक तेरी परछाई कहने वाली, खुद को पराई कहने लगी खोल तेरा ओढ़ आई एक गुड़िया बासी-सी यादें वो उसकी, आज मेरे अल्फाज़ों में बहने लगी… दर्पण आँखों की तेरी, से खुद को सजाया करती है कभी आँगन में बैठ तेरे जुड़े बनाया करती है … Continue reading पराई बेटी