किस ओर चला है तू, पीछे छोड़ सारा जहान कुछ यादें है अनकही, कुछ नग़में हैं अनसुने उन अधूरे किस्सों को तन्हा छोड़, तू क्यों रहे तन्हा । सीने में उलझन किसी टूटे नज़्म-सी है इंतज़ार करे तो किसका...किस तरह... जिसे हो आता इन्हें अंतरतम की ध्वनियों में पिरोना जिसके अंतर से हो निकलते अधूरे … Continue reading गीत मेरे… नज़्म तेरे…
Author: Jyoti Agrawal
भाषा महज एक अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं; हमारी संस्कृति, सभ्यता और आचरण की अभिव्यक्ति का माध्यम भी होती है। वर्तमान में एक बिंदु पर खड़ी भाषा, या फिर चहुँओर फैली भाषा, सफल और परिष्कृत...अपने साथ इतिहास के कई पदचिह्नों और बदलावों को समेटे रहती है। भाषा से प्यार, भाषा से अपनापन, भाषा को अपनाना … Continue reading हिंदी का पुनर्जीवन