यादें सहेज कर , सम्भाल कर अब मैं जा रही हूँ,
इस उलझन में हूँ कि

ये सब आपसे कह रही हूँ या खुद को बतला रही हूँ,

क्या सच में…मैं अब जा रही हूँ ?
चलो… अब तो जाने का वक़्त है,

किसी से रूठी हूँ तो खुद मान जाने का वक़्त है,

जो मुझसे रूठे है उन्हें गले लगाने का वक़्त है,

वो एक कमरे की याद में आँसू बहाने का वक़्त है,

कुछ छूट गया तो किसी के छूट जाने का वक़्त है।
जब भी सोचूंगी … इन गलियों में खुद को पाऊंगी,

दोस्तो! तुम्हारी यादों के संग भींग जाऊंगी,

मस्त होकर पागलपन की राहों की एक बार फिर दौड़ लगाऊँगी,

बस अकेले ही होगा,  मेरा वो सफर,

कम ही सही पर वक़्त अब भी है मयस्सर ।।

आओ, कुछ कहे एक दूसरे से

जब एक वक़्त था… तुम सब मेरे हमराही थे और मेरी राह के हमसफ़र …

कई खट्टी मीठी यादें जुड़ी है अब तुमसे ,

रोज़ बातें न भी हो हमारी, पर वादा करो…

रखोगे सबलोग सबकी खबर

कम ही सही पर वक़्त अब भी है मयस्सर ।।

मेरे लफ्ज़ आखिरी है, पर जज्बात आखिरी नहीं,

अल्फ़ाज़ कम है मगर मेरी बात कम नहीं,

जाने का वक़्त नजदीक है,

पर जो दूर करे हमें…इतनी भी दूरियों की औकात नहीं,

जहां भी रहे बस ये याद रहे…

एक दूसरे की खुशी और हर गम में साथ रहे ।।

ये सब छोड़ कर मैं अब जा रही हूँ,
हॉस्टल के कमरों में न जाने क्यूं नज़रे फिरा रही हूँ,

रात की मैगी हो या मेस का खाना,

वार्डन की फटकार हो या कॉलेज न जाना,

मैं सब तो छोड़ कर जा रही हूं,

एक अपनी दुनिया छोड़ कर पराई-सी दुनिया अपना रही हूँ,

याद रखना हमें बस..

अपने जूनियर्स को आखिरी बार समझा रही हूँ

मै सब छोड़ कर अब तो जा रही हूँ ।।
यादें सहेज कर सम्भाल कर अब मैं जा रही हूं,

मै अब भी इसी उलझन में हूँ …

ये सब आपसे कह रही हूँ या खुद को बतला रही हूँ

क्या सच में मैं अब जा रही हूँ ?

सोमी पांडेय 

 कण वैद्युतिकी एवं दूरसंचार अभियंत्रण, 2014 बैच

7 thoughts on “​क्या सच में…मैं अब जा रही हूँ ?

  1. आपकी बातें काफ़ी मर्मस्पर्शी है ।
    आपसे कभी मुलाकात तो नहीं हुई …..पर सर्जना के द्वारा आप हमेशा के लिए BIT के यादों में अमर रहेंगी ॥
    ये कविता बहुत ही खूबसूरत है । 😃
    सोमी मैम, उम्मीद है जिंदगी के इस सफर में हम जरूर मिलेंगे ।

    “हम हैं राही प्यार के , फिर मिलेंगे चलते चलते …..😃”

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    1. After reading this poem, I went back to my college life and recalled the feeling when i was also leaving the college. It’s really heart touching. Thanks to Sarjana Team for bringing this website through this even we are not in college but getting the glimpse of our beloved college..

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  2. यादें सहेज कर , सम्भाल कर अब मैं जा रही हूँ,
    इस उलझन में हूँ कि
    ये सब आपसे कह रही हूँ या खुद को बतला रही हूँ,
    दिल को छूती आपकी प्रत्येक पंक्तियाँ।बहुत बढ़िया लिखा है।

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