14 सितंबर की संध्या को बी०आई०टी० परिसर में हिंदी दिवस मनाया गया। संस्थान की प्रतिनिधि पत्रिका तथा छात्र मीडिया निकाय 'सर्जना' द्वारा इस पावन पर्व के सम्मान में काव्य पाठ सम्मेलन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में संस्थान के प्राध्यापकों एवं छात्रों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आयोजन की शुरुआत निदेशक महोदय एवं गणमान्य अतिथियों द्वारा … Continue reading हिंदी दिवस २०२२
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साहिलों से दूर, तूफ़ानों में आ गयामंज़िल का मुसाफ़िर, महफ़िल में आ गया चिलमन हटाने आज वो आए हैंइस प्यासे के पास कैसे कुआँ आ गया शराब तो मुझे चढ़ती ही नहींवो तो तुम सामने थे तो नशा आ गया सितारों के सुकून में ख़लल पड़ गयाचॉंद जो आज मेरे हुजरे में आ गया तासीर … Continue reading रक़ीब
लिपट तेरे दामन से वो बिटिया यूँ रोने लगी कल तक तेरी परछाई कहने वाली, खुद को पराई कहने लगी खोल तेरा ओढ़ आई एक गुड़िया बासी-सी यादें वो उसकी, आज मेरे अल्फाज़ों में बहने लगी… दर्पण आँखों की तेरी, से खुद को सजाया करती है कभी आँगन में बैठ तेरे जुड़े बनाया करती है … Continue reading पराई बेटी
कुछ इठला कर, एक बच्चे की तरह अभिमान भरी आँखों से, एक बूढ़े शेर की तरह व्यंग्य करता है; मेरा अस्तित्व मुझसे सवाल करता है। रोज़ आईने में दिखती है एक धुंधली तस्वीर धूल जम गई है शायद मैं नहीं हूँ... मुझ पर हँसता है; मेरा अस्तित्व मुझसे सवाल करता है। कौन हो … Continue reading अस्तित्व सवाल करता है
रात अपने अंधकार में न जाने कितनी बातों को समेटे रखती है। जब हर ओर सन्नाटा होता है...और इसी सन्नाटे में कई ख्वाब खिलते हैं किन्हीं कच्ची आँखों में। वह भी कोई ऐसी ही रात थी, जब उसकी नींद करवटों में कट रही थी और आँखों को सपनों ने निगल रखा था। करवटें...जो कहीं न … Continue reading नन्हीं-सी माँ
क्यों बैठा है सिर पर हाथ धरे पलकों पर अश्रु लिए हो अपनी मंजिल से परे; क्या, इतनी-सी है तेरी संसार! शून्य की भी प्राप्ति नहीं होती बिना उचित प्रयास किए क्यों बैठा है सिर पर हाथ धरे होकर, अपनी मंजिल से परे। मैं एक मामूली-सी चींटी हार का रस कभी न पीती असंख्य प्रयासों … Continue reading मैं, चींटी और प्रेरणा