“उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में

फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते”

– बशीर बद्र

बी०आई०टी० सिंदरी के विद्यार्थियों द्वारा संचालित शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्था, ‘प्रयास इंडिया’, जो हर घर में शिक्षा की ज्योति जला रही है, ने अपने वार्षिक महोत्सव ‘रेनबो २३’ को भव्यता के साथ सफल बनाया। महोत्सव को सात दिनों में संपन्न किया गया, जिसमें अंतिम दिन बहुत विशेष रहा। ‘रेनबो २३’ का विषय  ‘जी-२०’ रहा, जो की आज विश्व में सबसे बड़ी चर्चा का विषय है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मंत्र के साथ भारत ने जिन मुद्दों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है, उन्हीं की एक छोटी छवि ‘प्रयास’ ने भी दिखाने की कोशिश की। साथ ही, भारत की शक्ति एवं सामर्थ्यता भी दिखलाई गई। स्वयंसेवकों एवं विद्यार्थियों के सतत सहयोग से ही यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

‘रेनबो-२३’ के इस सात-दिवसीय श्रृंखला का पहला दिन ‘खेलो इंडिया खेलो’ के साथ २३ अप्रैल को आरंभ हुआ। इसमें ‘प्रयास’ के छात्र-छात्राओं ने ज़ोरों-शोरों से हिस्सा लिया, जिसमें दौड़, कबड्डी, चौकी दौड़, धीमी साइकिल दौड़, बोरा दौड़ इत्यादि जैसी कई प्रतियोगिताएँ हुईं। मुख्य अतिथि के रूप बी०आई०टी० सिंदरी के प्रोफेसर डॉ० आर०के० वर्मा उपस्थित थे, जिससे कार्यक्रम की शान और भी बढ़ गयी थी। दूसरे दिन का आगमन एक जागरूकता रैली से हुआ जिसका विषय था ‘पृथ्वी बचाओं’। प्रयास इंडिया के सभी स्वयंसेवकों और छात्रों ने पूरे उत्साह के साथ इसमें भाग लिया और इसे सफल बनाया। छात्रों ने बैनर और प्लेकार्ड का प्रयोग कर इस संवेदनशील मुद्दे को बड़े साहस के साथ समाज के सामने प्रस्तुत किया। लोगों में धरती माता के प्रति जागरूकता लाने हेतु ‘पृथ्वी बचाओ’, ‘जीवन बचाओ’, ‘अधिक से अधिक पेड़ लगाओ’ जैसे नारे भी लगाए गए। इसके बाद छात्रों ने नुक्कड़-नाटक का भी आयोजन किया। ‘अवसाद’ नामक इस नुक्कड़ ने दर्शकों के मन और चित्त पर एक गहरी छाप छोड़ी। बच्चों द्वारा दो बार अलग-अलग स्थानों पर इसकी प्रस्तुतियाँ पेश की गयी।

प्रयास द्वारा आयोजित यह समारोह केवल प्रयास के बच्चों तक ही सीमित नहीं था, अपितु पूरे क्षेत्र को समर्पित था। श्रृंखला में तीसरे दिन ‘पॉवर ऑफ नॉलेज’ नामक एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। क्षेत्र के आस-पास के स्कूलों ने भी बढ़-चढ़कर इसमें भाग लिया। जिसमें डिनोबली सिंदरी, डिनोबली डिगवाडीह एवं प्रयास के विद्यार्थी विजयी थे।

चौथे एवं पाँचवें दिन में संगीत में ‘सुर संग्राम’ एवं नृत्य में ‘डांसिंग स्टार’ की प्रतियोगिताएँ हुई। ‘प्रयास’ के अतिरिक्त अन्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी इसमें भाग लेकर उम्दा प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों के जीवन में हर गुण विकसित करना, यही ‘प्रयास’ का मुख्य लक्ष्य था। विभिन्न स्तरीय प्रतियोगिता की अंतिम प्रस्तुति मेगा-नाइट को दी जानी थी। छठे दिन में विद्यार्थियों की रचनात्मकता शैली को निहारने के लिए ‘पॉट पेंटिंग’ प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। नन्हें हाथों से बने रंगीन मटके कार्यक्रम की शोभा को बख़ूबी व्यक्त कर रहे थे।

३० अप्रैल की संध्या को आर्यसमाज मैदान की शोभा ही कुछ और थी। स्वयंसेवकों द्वारा प्रबंधित इस आयोजन ने हर दर्शक का मन मोह लिया था। मुख्य अतिथि के रूप में यू०सी० गौर (पूर्व जनरल मैनेजर एफ०सी०आई) और डॉ० आर०के० वर्मा कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। परासंस्थानीय विद्यार्थी जो ‘प्रयास’ के पूर्व सदस्य थे, उन्होंने भी इस समारोह में जुड़कर एक नया जोश उत्पन्न किया, साथ ही अपना मार्गदर्शन भी दिया। दर्शक-मंडली में पूरा बी०आई०टी० परिवार एवं आस-पास के गाँव के लोग सम्मिलित थे। मेगा-फेस्ट का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीपक-रोहण से हुआ जिसके बाद राष्ट्रगान और भारत माता की जय के नारे गूँज पड़े। यू०सी० गौर जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास इंडिया का योगदान सराहनीय है। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों के निःस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की और प्रयास इंडिया के छात्रों का मनोबल भी बढ़ाया जिसके उपरांत कार्यक्रमों की सूची चल पड़ी।

समारोह के मुख्यतः तीन केंद्र बिंदु थे, जिसमें एक ओर मॉडल प्रस्तुति का कार्यक्रम था। सारे मॉडल ‘प्रयास’ के विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के मार्गदर्शन में बनाए गए थे। भारत के सांस्कृतिक एवं कला धरोहर के साथ-साथ ‘जी-२०’ के मुद्दें मॉडल प्रस्तुति के मुख्य विषय थे। मॉडल बनाने के साथ-साथ उन्हें समझाने की जिम्मेदारी भी बच्चों पर ही थी। उनकी मधुर वाणी ने लोगों को मोह लिया था। दूसरी ओर विद्यार्थियों ने ‘कला एवं शिल्प’ के हुनर से बहुत सारे सजावटी समान बनाये थे, जिन्हें कार्यक्रम में बेचा जाना था। विगत दिनों के कठिन परिश्रम से उन्होंने तमाम शिल्पियाँ तैयार की थी, जिन्हें समारोह में लोगों द्वारा काफी सराहा गया और लोगों के द्वारा खरीदा भी गया।

तीसरी ओर मंच प्रस्तुति का कार्यक्रम आयोजित था जहाँ संगीत और नृत्य के प्रदर्शनों ने पूरे वातावरण में नई जान फूँक दी। मंच व्यवस्था भी बहुत सुचारु रूप से की गई थी और जमा हुई भीड़ ने कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया। इसके अलावा इस संध्या में दर्शकों ने प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता में अपने ज्ञान का विस्तार किया। प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता में सभी छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा। संध्या के आखिरी पड़ाव में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ जिसमें पिछले सभी प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। अंततः ‘प्रयास इंडिया’ के स्वयंसेवक विकास कुमार महतो एवं राजकमल कालिंदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

जिस सफ़लता से कार्यक्रम को उसके अंत तक लाया गया, इसमें की गयी मेहनत से अंजान नहीं रहा जा सकता। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए, ‘प्रयास इंडिया’ भी अहम भूमिका निभा रहा है। जैसे एक वृक्ष का कर्तव्य केवल खुद ही फलने-फूलने का नहीं, उन सैकड़ो बीजों का निर्माण भी होता है, जो आगे चलकर एक फलदायक वृक्ष में परिवर्तित होगी। समता ‘प्रयास इंडिया’ का यह योगदान भी देश की शिक्षा एवं विकास में उन बीजों को बो रहा है जो भारत को निश्चित ही नई ऊँचाइयों तक ले जायेगी।

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