मैं नारी हूँ।
सदियों पहले बनाई गई एक आकृति हूँ,
जन्नत से जगत को दिया गया एक नायाब तोहफा हूँ,
ईश्वर के हाथ की कलाकृति हूँ।
सदियों की जुबानी हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं जन्म लेती हूँ,
धरा पर कदम रखने से पहले,
मार दी जाती हूँ।
कदम रख भी लिया तो,
ताने, दुख, दर्द, शाप की उपमा बन जाती हूँ।
मैं नारी हूँ।
जन्म के समय कई नेत्रों से निकलने वाली अश्रुधारा का कारण हूँ।
कुछ बड़े होने के बाद उतपीड़न,
शोषण की साधना बन जाती हूँ।
माँ शारदा के आलय को दूर से ही देखकर नयन को तृप्त कर देती हूँ।
मैं नारी हूँ।
विवाह नामक जंजीर में बिन इच्छा
बाँध दी जाती हूँ,
ईश्वर कहलाने वाले साथियों द्वारा मारी-पीटी जाती हूँ।
रोज-रोज के तमाशे देखने वाली
एक गवाह हूँ।
मैं नारी हूँ।
दहेज नाम की रीति-नीति से अवगत हूँ,
भिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करती हूँ,
सारे कुकर्मियों के भोग-विलास की वस्तु मानी जाती हूँ,
लाभ उठाने के बाद कचड़े में फेक दी जाती हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं कई रिश्ते निभाती हूँ,
माँ हूँ, बेटी हूँ, पत्नी हूँ।
मैं तो नारी ही हूँ।
ममता की मूरत हूँ,
तो दुर्गा बनना भी जानती हूँ। काली की उपासक हूँ,
तो कोमलता की सूरत हूँ।
मैं नारी हूँ।
मैं संस्कार की संस्कृति हूँ,
नव जीवन की दात्री-रक्षाकृत हूँ,
नव यगु का हिस्सा हूँ।
मैं नारी हूँ।
ओ नर जन,
मेरे पर मत काट,
इन पँखों में उड़ने की शक्ति है।
मेरे स्वप्न रूपी गगन में किलोले भरने की ख्वाहिश है,
तेरी जाती से सामन्जस्य बठैाने की ताकत है।
इस शक्ति को समझ,
दुर्गा , काली , शारदा, लक्ष्मी, सभी मेरे नाम हैं।
किन्तु इनके पीछे शक्ति एक है।
मैं नारी हूँ।
में एक इतिहास हूँ। जीवन-गाथा हूँ,
मैं एक आस हूँ
मैं जीवन हूँ,
मैं एक कहानी हूँ।
मैं एक नारी हूँ,
मैं एक नारी हूँ।
आकांक्षा इरा
सैनिक अभियंत्रण
सत्र-2019
Why such sadness?! Is this a contemporary depiction? Any, well expressed.
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Bhut khubsurat
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Bahut sunder👌🏼
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