नीली फ़ाइल
फिर से खिड़की पर
आयी वह चिड़िया,
देखा उसे मैंने
आँखें हटाने के बाद नीली फाइल से।
धूप का एक टुकड़ा
रोशनदान से छनता
ठहर गया
अलमारी के उसी कोने में
जहाँ मैं नीली फाइल रखता हूँ।
बारिश की कुछ छींटें
खिड़की से कूदकर,
कल दोपहर ही तो
मेज़ तक सरक आयीं,
पता नहीं क्या-क्या
बितयाती रहीं
उसी नीली फाइल से।
कहीं इन सबके
आने का कारण
उस फाइल पर
“पर्यावरण सम्बन्धी”
लिखा होना तो नहीं।
-दीपक कुमार, सर्जना, २००१