नमन उस अटल को, जो शख्सियत विशाल था
मिल गया उस मिट्टी में, जिसका वो लाल था
अटल से अटल की लड़ाई थी
जीत कर मौत भी इठलाई थी
पराजित अटल, विजेता भी अटल
दूसरे में, आखिर कहाँ था बल!
विधि के विधान में, मौत के सम्मान में
किया उसने शत-शत नमन
छोड़ कर ये धरा,
किया नभ को गमन।
अब कुछ शून्य है,
कुछ है धवल
वो लेखनी पुकारे,
कहाँ हो अटल!
माँ भारती, चीखती-पुकारती
आ, फिर मैं तुझे गर्भ में हूँ धारती
पुनर्जन्म ले तू, धन्य ये भूखंड हो
मुझे अपनी कोख पर फिर से घमंड हो
आर्यावर्त्त में हर्ष और उल्लास हो
शांति हो, सौहार्द हो; देश का विकास हो
अजातशत्रु के चरणों मे मेरी ये काव्यांजलि
स्वीकार करें शशि की श्रद्धांजलि।