11 दिसम्बर, दिन सोमवार, सुबह के दस बजे, स्थान देशपांडे ऑडिटोरियम । मौका था बी०आई०टी० सिंदरी में राष्ट्रीय संगोष्टी के आयोजन का, जिसका उद्देश्य युवाओं में स्वदेशी तकनीक के प्रति रुझान बढ़ाना और उनके विचारों को प्रोत्साहन देना था। इसका आयोजन बी० आई०टी० सिंदरी और स्वदेशी जागरण मंच के तत्वाधान में हुआ जिसे रोटरेक्ट क्लब बी०आई० टी० सिंदरी की सहभागिता प्राप्त थी ।
“हमारे देश की 65% जनसँख्या युवा है, पर फिर भी भारत एक विकाशशील देश है”, इन्ही शब्दों के साथ संगोष्ठी की शुरुआत हुई।
मुख्य अतिथि व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्री रामदत्त चक्रधर, भूगर्भ विभाग के डॉ.पीके सिंह, हर्ल सिंदरी के प्रभारी ओपी कुशवाहा , राष्ट्रीय संघर्ष वाहिनी के प्रमुख अनादा शंकर पाणीग्रही, रंजीत सिंह, मिलिंद सिंह तथा निदेशक डी०के० सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
तत्पश्चात बीबीएमकेयू के कुलपति व संस्थान के निदेशक महोदय ने संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वदेशी तकनीक से दैनिक उपयोग के उपस्करों को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए । यदि महिलाओं को तकनीकी सुरक्षा , संरक्षा दी जाए तो इस देश की आधी आबादी स्वावलंबी बनकर देश के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएगी । उन्होंने 3H यथा hand, head और heart की महत्ता समझाते हुए कहा कि “हमारे देश में head और heart पर पुरजोर ध्यान दिया जाता है लेकिन hand यानि कर्म या तकनीकी योग्यता पर नहीं।” इसी पर उनहोंने उदहारण दिया कि आईआईएससी बैंगलोर में दो वैज्ञानिकों ने nano – technology कार्यशाला की स्थापना की। अतः इससे पहले भारत इजरायल से जो प्रेशर सेंसर २ लाख रूपये प्रति इकाई की लागत से खरीदता था उसका निर्माण उन्होंने मात्र १०,००० रूपये में संभव कर दिखाया।
मुख्य अतिथि श्री रामदत्त चक्रधर अपने विभिन्न उदाहरणों से प्राचीन भारत की तकनीकी कुशलता का वर्णन करते हुए छात्रों से भारत के पुराने गौरव को लौटाने का आह्वाहन किया। पुर्जो को जोड़ने से देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती , निर्माण सेक्टर को बढ़ावा देने से देश के विकास दर में बढ़ोतरी होगी और तब बेरोजगारी की समस्या से निजात पा सकेंगे।
उन्होंने दिल्ली में स्थित लौहस्तंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के पास धातु मिश्रण की ऐसी उच्च तकनीक थी जिसका लोहा आज भी पूरी दुनिया मानती है।
इसी क्रम में अन्य अथितियों ने भी अपनी राय रखी और युवा छात्रों को स्वदेशी तकनीक की ओर अग्रसर होने के लिये प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में १० चयनित छात्रों के बीच एक प्रतिस्पर्धा का आयोजन हुआ जिसमें सभी छात्रों ने दिये गए विषयों पर अपनी राय रखी। छात्रों का उत्साहवर्धन करने के लिये ४ प्राध्यापकों ने भी इसमें हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता की विजेता श्वेता सुमन रहीं जिन्होंने “महिला सुरक्षा” सम्बन्धित ईलक्ट्रानिक चूड़ी की संकल्पना प्रस्तुत की। सुजीत कुमार ने द्वितीय तथा सौरभ सिंह ने तृतीय स्थान सुनिश्चित किया।
कार्यक्रम के अंत में निदेशक महोदय तथा अतिथियों ने विजेताओं को सम्मानित किया।
